द जेंडर गैप (CGG) प्लेटफॉर्म डेटा के अनुसार विशेष मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में यौन उत्पीड़न की शिकायतों में 38% की वृद्धि हुई
द वीकली टाइम्स, शुक्रवार 22 नवम्बर 2024, नई दिल्ली। भारत में महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध उदयती फाउंडेशन ने आज अपने क्लोज द जेंडर गैप (CGG) पहल के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के लिए नए डेटा और जानकारी का खुलासा किया। जारी किया गया डैशबोर्ड निम्नलिखित लैंगिक परिदृश्यों में अत्यंत महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान करता है:
- शीर्ष पदों पर महिलाएँ (निदेशक मंडल और प्रमुख प्रबंधन पद)
- लैंगिक वेतन असमानता (कामगार, कर्मचारी, केएमपी, बीओडी)
- प्रतिधारण संकेतक - प्रतिधारण दर, काम पर वापसी और टर्नओवर दर।
- कर्मचारियों और श्रमिकों दोनों के लिए कंपनी की मातृत्व हितलाभ, पितृत्व हितलाभ, डे केयर सुविधा जैसी कल्याण नीतियों तक पहुँच संबंधी डेटा।
- यौन उत्पीड़न और POSH डेटा।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 2000+ NSE सूचीबद्ध कंपनियों की वार्षिक और BRSR रिपोर्ट के आधार पर डेटा एकत्र किया गया है।
क्लोज द जेंडर गैप पहल औपचारिक रोजगार में लैंगिक असमानता को कम करने के लिए कार्यान्वयन योग्य डेटा और साधनों की तलाश करने वाले संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में निरंतर काम कर रहा है, जिससे इन संगठनों को विविधता, समानता और समावेशन (DEI) लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अपनी प्रगति को जानने में समर्थ बनाया जाता है।
उदयती फाउंडेशन की सीईओ पूजा गोयल ने कहा, "हमारे क्लोज द जेंडर गैप पहल के नवीनतम आंकड़े संगठनों को लैंगिक असमानताओं को कम करने की दिशा में काम करने का आग्रह करती है। हमारे निष्कर्ष कंपनियों द्वारा प्रतिनिधित्व के अंतर को कम करने के साथ-साथ शीर्ष पदों, वेतन समानता और कार्यस्थल लाभों में महिलाओं के लिए समान अवसरों को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हैं। लैंगिक समानता केवल एक लक्ष्य नहीं; बल्कि इसे संगठनात्मक विकास के हर भाग में शामिल किया जाना चाहिए। हम संगठन के लीडर्स से लैंगिक असमानता की इस बड़ी खाई को पाटने और इस विशाल प्रतिभा पूल का लाभ उठाने का आग्रह करते हैं।"
बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी (BRSR) फ्रेमवर्क को अपनाने की वजह से NSE सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा लैंगिक डेटा की रिपोर्टिंग में बढ़ोतरी हुई है (यह वित्त वर्ष 2022-23 के 52% से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 57% हो गया है)। निजी क्षेत्र को लैंगिक डेटा की जानकारी प्रदान करने के लिए उदयती की CGG पहल को तैयार किया गया है। समावेशी कार्य परिवेश को बढ़ावा देने में डेटा प्रकटन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
इस वर्ष के निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत में केवल 18% औपचारिक रोजगार महिलाओं के पास है। हालांकि, स्वास्थ्य देखभाल (41%) और उपभोक्ता सेवा (30%) जैसे कुछ क्षेत्रों में महिलाओं का मजबूत प्रतिनिधित्व है, जबकि निर्माण और बिजली जैसे उद्योग पर पूरी तरह पुरुषों ने कब्जा किया हुआ है, यहां महिलाओं की संख्या केवल 3-4% है।
98% कंपनियों के निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला निदेशक होने की रिपोर्ट के बावजूद, 1 से अधिक महिला निदेशक वाली कंपनियों के मामले में यह संख्या घटकर 46% रह जाती है। इसके अलावा, केवल 10% कंपनियों ने प्रमुख प्रबंधन कर्मियों(KMP) के पदों पर एक से अधिक महिलाओं को रखने की सूचना दी है, जो महिलाओं के लिए शीर्ष पदों में भारी अंतर को दर्शाता है। निर्माण और इसी तरह के क्षेत्रों में भी महिलाओं को भारी वेतन असमानताओं का सामना करना पड़ रहा है, जहां महिला KMP अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में 2 करोड़ रुपये तक कम वेतन पाती हैं। दिलचस्प बात यह है कि उपभोक्ता सेवा और अस्पताल एवं प्रयोगशाला क्षेत्र, जहां महिलाओं का उच्च प्रतिनिधित्व है, की उच्चतम टर्नओवर दरें क्रमश: 34% और 33% हैं, जो कार्यबल स्थिरता बनाए रखने के लिए अनुकूल प्रतिधारण योजनाओं की आवश्यकता को दर्शाता है। निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि यौन उत्पीड़न की शिकायतों की रिपोर्टिंग में वृद्धि हुई है, पिछले वर्षों की तुलना में सूचित किए गए मामलों में 38% की वृद्धि हुई है।