फिल्म समीक्षा : श्रीकांत
द वीकली टाइम्स, मंगलवार 14 मई 2024, (फिल्म समीक्षक : रेहाना परवीन) नई दिल्ली। फिल्म श्रीकांत शुक्रवार 10 मई 2024 को सिनेमा घरों में प्रदर्शित होने वाली फिल्म है। फिल्म श्रीकांत का वीरवार को डिलाइट डायमंड सिनेमा, दिल्ली में प्रेस शो हुआ जिसमें इस फिल्म को देखने का मुझे अवसर मिला। फिल्म श्रीकांत दृष्टिबाधित भारतीय उद्योगपति और बोलैंट इंडस्ट्रीज के संस्थापक श्रीकांत बोल्ला के जीवन पर आधारित फिल्म ज्ञानवर्धक, मनोरंजक फिल्म है, जिसका निर्देशन तुषार हीरानंदनी द्वारा किया गया है। फिल्म के मुख्य कलाकार राजकुमार राव, अलाया फर्नीचरवाला, ज्योतिका, शरद केलकर, जमील खान, फिल्म निर्माता भूषण कुमार, छायांकन प्रथम मेहता, संपादन देबस्मिता मित्रा हैं। फिल्म में राजकुमार राव ने दृष्टिबाधित भारतीय उद्योगपति और बोलैंट इंडस्ट्रीज के संस्थापक श्रीकांत बोल्ला के जीवन का करदार निभाया है। श्रीकांत बोल्ला ने अपने जीवन के संघषों में भागना नहीं लड़ना सीखा था कियोंकि श्रीकांत बोल्ला का मानना था हम दृष्टिबाधित लोग भाग नहीं सकते लड़ जरूर सकते है अपने जीवन में अनेको वार निति निर्मातों से लड़े जिस कारण बाद में उनके जैसा अनेको दृष्टिबाधित लोगों को लाभ हुआ। इनके लड़ने के बाद निति निर्माताओं को दृष्टिबाधित लोगों के हिसाब से नियम बनाना पड़ा। श्रीकांत बोल्ला कहते हैं दृष्टिबाधित लोगों पर दया नहीं उनको सभी के समान अवसर दें। कियोंकि वो किसी से कम नहीं है।
इस फिल्म में एक और विशेषता है जो की बहुत ही कम फिल्मों होती है। वो यह है कि इस फिल्म को दृष्टिबाधित लोगों के हिसाब से बनाई गई है जैसे जब कोई चीज गिरती है या इशारे से माँगी/ करी जाती है जैसे सीन को साधारण लोग देख कर उस सीन का आनंद लिया जा सकता है पर दृष्टिबाधित लोग इस सीन को देख नहीं पा सकते जिस कारण दृष्टिबाधित लोग उस सीन का आनंद नहीं ले सकते। इसलिए दृष्टिबाधित लोग भी इस सीन का पूरा आनंद ले सके इसके लिए इस फिल्म में दर्शकों को अपने स्मार्ट फ़ोन में एक एप्लीकेशन डाउन लोड करना होता है। फिर सिनेमा घरों में उस एप्लीकेशन के माध्यम से अपने कान में एयरफ़ोन लगाकर जिस सीन को केवल देखकर आनंद लिया जा सकता है तब यहां बगैर देखे भी सुनकर उस सीन का आनंद लिया जा सकता है। जब आप भी सिनेमघरों में बैठकर इस फिल्म को देख रहे हों तो जरूर ट्राई करके देखे आपको भी एक अलग आनंद आएगा। फिल्म बहुत अच्छी है पुरे परिवार व दोस्तों के साथ बैठकर फिल्म को देखा जा सकता है। ख़ास कर इस फिल्म को देखकर दृष्टिबाधित लोगों की जिंददगी में क्या क्या परेशानियां आती है, और दृष्टिबाधित लोग क्या चाहते हैं उसको जानने का मौका मिलेगा। तो इसलिए शायद फिल्म बहुत पसंद आएगी। इसलिए इस फिल्म को देखने की राय में हर किसी को देती हूँ। इस फिल्म को मैँ पांच में से चार नंबर देती हूँ। और जीवन आधारित पर बनी फिल्म को पसंद करने वालों के लिए पांच में से साढ़े चार नंबर देती हूँ।