सार्वजनिक शौचालयों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए हार्पिक लूकेटर लॉन्च करने की किया घोषणा

◆  महिलाओं को सार्वजनिक शौचालयों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए एक इनोवेटिव ऐप-आधारित समाधान हार्पिक लूकेटर (हार्पिक लूकेटर ऐप)

◆  इस बेहद महत्वपूर्ण पहल का उद्देश्य पेशाब की व्याकुलता का समाधान पेश करना है। हालिया सर्वेक्षण से पता चलता है कि 70% महिलाओं को सार्वजनिक शौचालय की तलाश करने लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है

◆  लोगों को सोचने के लिए मजबूर करने वाले हमारे कैम्पेन #BeFreeToPee के माध्यम से हमारी कोशिश है कि सार्वजनिक शौचालय खोजने में महिलाओं को होने वाली मुश्किलों को लेकर चर्चा की शुरुआत की जाए

द वीकली टाइम्स, वीरवार 29 फरवरी 2024, नई दिल्ली। शौचालय की स्वच्छता से जुड़े उत्पाद बनाने वाले भारत के अग्रणी ब्रांड, हार्पिक ने सभी लोगों और सबसे खासतौर पर महिलाओं तक सार्वजनिक शौचालयों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए एक इनोवेटिव ऐप-आधारित समाधान 'हार्पिक लूकेटर' ("हार्पिक लूकेटर ऐप") लॉन्च करने की घोषणा की है। इस अनसुने से मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत करने के लिए, ब्रांड ने '#BeFreeToPee' कैम्पेन भी लॉन्च किया है। सार्वजनिक शौचालयों की जानकारी और पहुंच की कमी के कारण सफर के दौरान महिलाओं को जीवन शैली से जुड़े कई समझौते करने पड़ते हैं, इस कैम्पेन में इन्हीं समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है। यह बेहद खास लॉन्च भारत में सार्वजनिक शौचालय को खोजने से जुड़ी समस्या को हल करने की दिशा में एक समाधान पेश करता है। दिल्ली में हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है। सर्वे में पता चला कि 70% महिलाओं को जरूरत पड़ने पर सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय की तलाश करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसमें यह भी कहा गया है कि वे एक साफ सुथरे शौचालय की तलाश करने में औसतन 60 मिनट खर्च करती हैं*। कई महिलाएं यात्रा करते समय या बाहर जाते समय कम पानी पीती हैं, जिसके चलते उन्हें डीहाइड्रेशन या यूटीआई जैसी सेहत से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि 78% महिलाएं सार्वजनिक शौचालयों से बचने के लिए फील्ड जॉब या लंबी यात्राओं से बचने की बात स्वीकार करती हैं*। इसके अतिरिक्त, 81% महिलाओं ने सार्वजनिक शौचालयों के उपयोग से बचने के लिए पानी पीने से परहेज करने की बात मानी है। इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए, हार्पिक लोकेटर ऐप न केवल आस-पास के सार्वजनिक शौचालयों की तलाश करता है, बल्कि सभी को और सबसे खासतौर पर महिलाओं को इस बात की भी सुविधा देता है कि वे ऐप पर अधिक से अधिक शौचालयों को रेट करें और उनकी जानकारी प्रदान करें। इस पहल से बड़े पैमाने पर महिलाओं को मदद मिलेगी।

इस लॉन्च के बारे में बात करते हुए, सौरभ जैन, रीजनल मार्केटिंग डायरेक्टर, साउथ एशिया - हाइजीन, रेकिट ने कहा, “स्वच्छ सार्वजनिक शौचालयों के बारे में जानकारी और पहुंच की कमी का सामना समाज के सभी वर्गों को करना पड़ता है। लेकिन महिलाओं को इस समस्या का सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ता है। कई लोग सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करने से बचने के लिए अपनी दैनिक दिनचर्या और जीवनशैली में बदलाव करते हैं। लेकिन इसका उनके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। जो लोग अक्सर काम या छुट्टियां मनाने के लिए यात्रा करते हैं, उनके लिए ये चुनौतियां और भी बढ़ जाती हैं। इसके चलते कई बार उन्हें स्कूल और कॉलेज छोड़ना पड़ता है। साथ ही ऐसी नौकरियों से दूरी बनाने पड़ती है जिसमें काफी ट्रैवल करना पड़ता है। इसके अलावा उनके सामने सुरक्षा संबंधी चिंताएं और अन्य कारण भी होते हैं। 'बी फ्री टु पी' कैम्पेन ग्राहकों को उनकी बाथरूम और शौचालय से जुड़ी सभी समस्याओं के समाधान में मदद करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हम जहां भारत की अनेक महिलाओं के सामने आने वाली अनकही चुनौतियों के बारे में चर्चा की शुरुआत करने के लिए एक नया प्रयास शुरू कर रहे हैं, हम आप सभी से आग्रह करते हैं कि आप 'हार्पिक लूकेटर' ऐप का उपयोग करके हमारे साथ जुड़ें और अपने आस-पास के शौचालयों की रेटिंग प्रदान करें। जिससे महिलाओं को सुरक्षित और जानकारी युक्त विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।

ऐप यूजर्स को पानी, साबुन, टिशू पेपर, सफाई और प्रकाश जैसी सुविधाओं के आधार पर शौचालयों को रेटिंग देने में भी मदद करता है। इन रेटिंगों और सुविधाओं के आधार पर, यूजर्स सही जानकारी के साथ सही विकल्प चुन सकते हैं और पेशाब रोकने के संकट से मुक्ति पा सकते हैं। हार्पिक लूकेटर ऐप एंड्रॉयड और iOS पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा इसे क्यूआर कोड को स्कैन करके भी डाउनलोड किया जा सकता है। बी फ्री टू पी कैम्पेन का उद्देश्य है कि महिलाओं को सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध नहीं होने के कारण पेश आने वाली समस्याओं से मुक्त मिले। साथ ही वे अपनी जीवनशैली से समझौता किए बिना अपने सभी बाहरी काम आसानी से निपटा सकें।  

लॉन्च के बारे में बात करते हुए आलाप देसाई, सीसीओ और सह-संस्थापक, tgthr ने कहा, “भारत में, पुरुषों के लिए शौचालय की तलाश करना बेहद आसान है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं को हमेशा इस समस्या का सामना करना पड़ता है। मैंने देखा है कि मेरे बहुत से करीबी दोस्त पेशाब से जुड़ी बेचैनी का सामना करती हैं। साथ ही उन्हें इस प्रकार जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है कि जैसे ऐसा करना उनके लिए एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। उनके पास कोई विकल्प ही नहीं है, वास्तव में यह सब अस्वीकार्य है। यह एक बुनियादी मानव अधिकार है और महिलाएं जिस असहाय परिस्थिति से गुजरती हैं वह रुकनी चाहिए। अपने कंज्यूमर-फ्रेंडली इंटरफ़ेस वाला ऐप एक ऐसा सॉल्यूशन है जिसकी उन्हें कई वर्षों से जरूरत थी। संचार की सबसे संतोषजनक बात यह है कि उससे वास्तव में किसी का जीवन बेहतर बन सके। वास्तव में यह उत्पाद भी यही करता है। यह कोई छोटी अवधि का समाधान नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा ऐप है जिसका उपयोग आने वाले वर्षों तक हर दिन किया जा सकता है। समाधान की लंबी आयु महिलाओं के लिए जरूरी समाधान पेश करने की ब्रांड की प्रतिबद्धता का प्रदर्शित करती है।

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