फिल्म फैक्टरी के माध्यम से अपनी मां का सपना को साकार किया : निर्देशक और अभिनेता फैसल खान
दरअसल, 'कयामत से कयामत तक', 'जो जीता वही सिकंदर' और 'तुम मेरे हो' में मंसूर खान और उनके दिवंगत पिता ताहिर हुसैन के सहायक के तौर पर खुद को मांजने के बाद ही उन्होंने डायरेक्शन की दुनिया में कदम रखा है। तभी तो वह कहते हैं, 'तीस साल बाद डायरेक्शन में आने का फैसला लेकर खुश हूं, क्योंकि इसके जरिये आखिरकार अपनी मां और अपने सपने को जी पाऊंगा। मैं स्क्रिप्टिंग स्टेज से ही 'फैक्टरी' से जुड़ा रहा हूं और यह पूरे समय एक अद्भुत यात्रा रही है। इतना ही नहीं, अपने बारे में वह बताते हैं, 'मेरा पिछला कुछ वक्त वाकई काफी कठिन गुजरा, लेकिन अब मैं वास्तव में अभिनय और निर्देशन में वापस आना चाहता हूं। मुझे आगे बढ़ने का अवसर चाहिए और मैं अपना रास्ता बनाने के लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से पूरी तरह से तैयार भी हूं। 'फैक्टरी' इस दिशा में मेरा पहला कदम है।
जहां तक कहानी की बात है तो 'फैक्टरी' की कहानी यस नाम के एक साइको किलर के इर्दगिर्द घूमती है जो नताशा नामक युवती से बेइंतहा प्यार करता है और उसके प्यार में पागल होकर उसे पाने की खातिर अन्य लोगों का कत्ल करता चला जाता है। फिल्म में साइको किलर की मुख्य भूमिका खुद फैजल खान ने निभाई है। नेगेटिव रोल में फैजल ने उम्दा काम किया है और परदे पर उन्हें देखकर कई बार आमिर खान का भ्रम होता है। नेगेटिव किरदार में फैजल जमे हैं और लगभग पूरी फिल्म अपने कंधे नी उठाए घूमते नजर आते हैं। पहली फिल्म होने के बावजूद नताशा की भूमिका में रोली रयान ने भी अच्छा काम किया है और फैसल का पूरा साथ निभाया है। अन्य भूमिकाओं में राजकुमार कनौजिया, रिब्बू मेहरा, शरद सिंह और आशा सिंह की भी जंचते हैं।
'फैक्टरी'एम एंड एस फिल्म्स प्रोडक्शन द्वारा एंटरटेनमेंट फिल्म्स एलएलपी, फ्लेमिंगो फिल्म्स और गौरी फिल्म्स के सहयोग से रिलीज 'फैक्टरी' मरियम, सलीम बाबू इब्राहिम, शरद सिंह और सफ़राज़ शरीफ़ द्वारा निर्मित है, जबकि इसकी कहानी/पटकथा/संवाद फैसल खान, अमित गुप्ता और मरियम द्वारा ने लिखा है। संगीत सलीम सेन, असलम केई, बबल्स म्यूजिक ने दिया है, जबकि गीतकार हैं शादाब अख्तर, जमील अहमद, शबीर कश्मीरी, असरार अंसारी और नईम।